भारत मे कोविड 19 वायरस के बाद कई नए वायरस देखने को मिले। जिसने लोगों को काफी सताया। वहीं अब कोरोना के बाद एक नई बीमारी ने दस्तक दे दि हैं। जो हैं मंकी फीवर। यह बीमारी कई राज्यों में फेल चुकी हैं। जिसमे कर्नाटक में पिछले 15 दिनों मे मंकी फीवर के मामले तेजी से बढ़े हैं। अभी तक कुल 31 संक्रमित पाए गए हैं जिसमें से 12 मरीज अभी अस्पतालों में भर्ती हैं. जबकि बाकी मरीजों का इलाज घर पर ही चल रहा है। हालांकि सभी की हालत स्थिर है, अभी तक किसी तरह का गंभीर मामला नहीं आया है। लेकिन सावधानी बरतने की जरूरत है।
क्या होता है मंकी फीवर ?
आपको बता दे कि मंकी फीवर जिसे क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) कहा जाता है। यह बीमारी जानवरों से इंसानों में फैलती है। जोकि बंदरों के शरीर में पाए जाने वाले टिक्स (किलनी) के काटने से इंसानों में आ सकती है। कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा में इसके मामले सामने आए है।
क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज
केएफडी , मंकी फीवर कही जाने वाली बीमारी इंसानों के लिए बेहद खतरनाक है। इसलिए सावधान रहने की सलाह दी जा रही है । यह एक संक्रामक बीमारी हैं जिसकी वजह से अचानक से बुखार, गंभीर सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसी के साथ उल्टी और दस्त जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल का खतरा भी बढ़ सकता है। वहीं हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि, मंकी फीवर के गंभीर मामलों में नाक और मसूड़ों से खून आने के साथ ही कंपकंपी, चलने में समस्याएं, मानसिक भ्रम जैसी न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं। इसलिए तुरंत ही इसकी जांच कराए और टाइम से इलाज करवाना चाहिए।
मंकी फीवर से कैसे करे बचाव
कहा जाता है कि इस मंकी फीवर यानी केएफडी के लिए किसी तरह का विशेष इलाज नहीं है। सिर्फ इसके लक्षणों का पता लगाकर इसके जोखिमों को कम करने का इलाज किया जाता है। वहीं खून आने वाली समस्याओं में मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। वहीं इससे पीड़ित व्यक्ति को लगातार पानी पीने की सलाह दी जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इससे बचने के लिए इसकी वैक्सीन भी मौजूद है। जिसके बाद संक्रमण से बचाव और बीमारी के गंभीर रूप लेने का जोखिम कम हो सकता है। बंदर के टिक्स न कांटे इसलिए लिए सुरक्षित कपड़े पहनने चाहिए।